COVID-19: JN.1 वेरिएंट क्या है? भारत में 257 कोविड मरीज, 2 की मौत, जानिए क्या है लक्षण
COVID-19: सिंगापुर और हांगकांग में एक बार फिर से कोविड नए रूप में वापस आ गया है. Covid-19 के नए वेरिएंट JN.1 के मामलों में बढ़ोतरी होने से भारत के लोग में भी भय बना हैं. कोरोना का नाम सुनते ही हर किसी को साल 2020-21 का खौफनाक यादें ताजा हो उठती हैं, वह भयावह पल याद करने से ही रूह कांप जाए. अब तक भारत में 257 कोविड मरीज 20 मई को मिले जिनमे से 2 मरीजों की मौत होगयी। अब एक बार फिर से केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र में कोरोना (नए वेरिएंट JN.1 के) मरीज तेजी से बढ़ने लगे हैं. मुंबई के केईएम अस्पताल में दो कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत होने से स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. अब चीन, सिंगापुर, थाइलैंड ही नहीं भारत में भी कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है.
कोरोना का नया वेरिएंट क्या है और यह कितना खतरनाक है- डिटेल में जानिए.
सिंगापुर और हांगकांग में कोविड के मामले बढ़ रहे है, जिसका कारण JN.1 वेरिएंट कोरोना वायरस (COVID-19) का एक नया सबवेरिएंट है, जो SARS-CoV-2 के Omicron वेरिएंट से उत्पन्न हुआ है। JN.1 वेरिएंट Omicron BA.2.86 वंश का वंशज है. जॉन्स हॉपकिन्स मेडिसिन के मुताबिक, इस वेरिएंट की खोज पहली बार अगस्त 2023 में हुई थी. इसमें करीब 30 म्यूटेशन हैं, इसे पहली बार 2023 में खोजा गया और यह 2024 में कई देशों में तेज़ी से फैलने लगा, जिनमें भारत, अमेरिका, यूरोप, और एशिया के कुछ हिस्सों में फैल। हालांकि, कोरोनावायरस का BA.2.86 वेरिएंट कभी भी SARS-CoV-2 वेरिएंट के ग्रुप जितना खतरनाक नहीं हुआ।
JN.1 वेरिएंट क्या है?
JN.1, Omicron वेरिएंट का एक नया रूप (sublineage) है, जो XBB.1.5 से विकसित हुआ है। इसमें कुछ नए म्यूटेशन (mutation) पाए गए हैं, जो इसे और भी संक्रामक बनाते हैं। यह वेरिएंट विशेष रूप से ऊपरी श्वसन तंत्र (upper respiratory tract) को प्रभावित करता है। यह वेरिएंट तेज़ी से फैलता है, लेकिन ज़्यादातर मामलों में इसके लक्षण हल्के ही रहते हैं, खासकर उन लोगों में जिन्होंने वैक्सीन ली है या पहले संक्रमित हो चुके हैं। इसमें वायरस के स्पाइक प्रोटीन में कुछ नए म्यूटेशन पाए गए हैं, जिससे यह और ज्यादा संक्रामक हो गया है।
JN.1 वेरिएंट कैसे उत्पन्न हुआ?
यह Omicron वेरिएंट के BA.2.86 (Pirola) से उत्पन्न हुआ है। Omicron वेरिएंट के एक नए रूप XBB.1.5 स्वयं पहले दो Omicron वेरिएंट्स के मिलन (recombination) से बना, बाद में XBB.1.5 से एक उप-वेरिएंट बना BA.2.86 (Pirola)। इसके बाद, Pirola से एक और उप-वेरिएंट – JN.1 बना। इसमें स्पाइक प्रोटीन में अतिरिक्त म्यूटेशन पाए गए, जिसने इसे और भी ज्यादा संक्रामक बना दिया।
Pirola दुनिया में कहाँ पाया गया है?
Pirola वेरिएंट को अमेरिका, यूके, डेनमार्क, दक्षिण अफ्रीका और भारत सहित कई देशों में पाया गया है। इसकी उप-शाखा JN.1 अब 2024–2025 में ज़्यादा तेज़ी से फैल रही है।
नया वेरिएंट बनता कैसा है ?
वायरस हर बार जब किसी नए व्यक्ति में प्रवेश करता है, तो उसकी कॉपी बनती है, और इस प्रक्रिया में कभी-कभी त्रुटियाँ (mutations) हो जाती हैं। कुछ म्यूटेशन वायरस को तेज़ी से फैलने, इम्यून सिस्टम से बचने, या नई जगहों पर टिकने की क्षमता देते हैं।
जब ऐसे म्यूटेशन सफल हो जाते हैं, तो एक नया वेरिएंट बनता है — जैसे JN.1।
JN.1 वेरिएंट के लक्षण क्या हैं?
इस वेरिएंट के लक्षण पहले के कोविड वेरिएंट जैसे ही हैं, लक्षणों में शामिल हैं:
- सूखी खांसी
- गले में खराश
- सिरदर्द
- बुखार
- थकावट
- नाक बहना या बंद होना
- स्वाद या गंध का चला जाना
- कुछ मामलों में पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं
बचाव कैसे करें?
- स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइंस का पालन करें
- लक्षण दिखने पर टेस्ट कराएं
- मास्क पहनना (विशेषकर भीड़भाड़ वाली जगहों पर)
- साफ-सफाई और हाथ धोने की आदत बनाए रखें
- वैक्सीन और बूस्टर डोज़ लेना
- हाई-रिस्क लोगों (बुज़ुर्ग, क्रॉनिक बीमारी वाले) को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए
- भारत में कोविड-19 की स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन वैश्विक हालात को देखते हुए सतर्कता जरूरी है।
- नागरिकों को चाहिए कि वे अफवाहों से दूर रहें, और केवल आधिकारिक सूचनाओं पर ही भरोसा करें।
क्या टेस्ट से पता चलता है?
RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट JN.1 को भी डिटेक्ट कर सकते हैं। हालांकि इसकी पहचान जीनोमिक सीक्वेंसिंग द्वारा होती है, जो विशेष लैब में की जाती है।
भारत की स्थिति ?
सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा उच्चस्तरीय बैठक के बाद अधिकारियों ने बताया है कि भारत की कोविड-19 स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। इस बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक, आईसीएमआर, एनसीडीसी, आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ और अन्य केंद्रीय संस्थानों के कई विशेषज्ञ शामिल हुए। विशेषज्ञ के अनुसार भारत की जनसंख्या को देखते हुए 257 सक्रिय मामले चिंता की बात नहीं है, लेकिन फिर भी हमे सतर्क रहना जरुरी है।
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