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Ambedkar Jayanti 2025: संविधान के निर्माता डॉ भीमराव रामजी अम्बेडकर की 135वीं जयंती ..

आज ही के दिन 14 अप्रैल 1891भारत के महान समाज सुधारक और संविधान के शिल्पकार कहे जाने वाले बाबा साहेब डॉ भीमराव रामजी आम्बेडकर का जन्म हुआ था.

आइये जानते है कौन थे संविधान (Indian Constitution) के शिल्पकार ?

डॉ॰ बाबा साहब आम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956) भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाजसुधारक थे। बाबा साहब कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों ही विश्वविद्यालयों से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्राप्त कीं तथा विधि, अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में शोध कार्य भी किये थे। वे बचपन से ही एक मेधावी छात्र थे।

उन्होंने दलित आंदोलन को प्रेरित किया और दलितों से होने वाले सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। उन्होंने श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान (Indian Constitution) के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।

बाबा साहेब ने हमें केवल संविधान नहीं दिया, बल्कि सामाजिक समता, समरसता और अधिकारों पर आधारित एक न्यायपूर्ण व समावेशी भारत की राह दिखाई। उनका संदेश स्पष्ट है—जब तक अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को न्याय नहीं मिलता, तब तक हमारा विकास अधूरा है।

  • बाबा साहब रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान थे।
  • 14 अप्रैल को उनका जन्म दिवस आम्बेडकर जयंती के तौर पर भारत समेत दुनिया भर में मनाया जाता है।
  • सन 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था।
  • सन 1990 में, उन्हें भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।
  • उनका उनका निधन दिल्ली में 6 दिसंबर 1956 को हुआ, इसलिए हर साल 6 दिसंबर को महापरिनिर्वाण दिवस आयोजित किया जाता है।

बाबा साहब का परिवार कहाँ रहता था ?

  • आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को ब्रिटिश भारत के मध्य भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश) में स्थित महू नगर सैन्य छावनी में हुआ था।
  • भीमराव आम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत रहे थे और उनके पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना की महू छावनी में सेवारत थे तथा यहां काम करते हुये वे सूबेदार के पद तक पहुँचे थे।
  • अप्रैल 1906 में, जब बाबा भीमराव लगभग 15 वर्ष आयु के थे, तब रमाबाई जी जो 9 वर्ष की थी उनके साथ बाबा भीमराव की शादी कराई गई थी। तब वे पाँचवी अंग्रेजी कक्षा पढ़ रहे थे
  • बाबा भीमराव का परिवार कबीर पंथ को माननेवाला मराठी मूल का था और वो वर्तमान महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में आंबडवे गाँव के निवासी थे ।
  • तब वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी और इस कारण उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव सहन करना पड़ता था।

प्राथमिक शिक्षा

आम्बेडकर जी ने सातारा नगर में राजवाड़ा चौक पर स्थित शासकीय हाईस्कूल (अब प्रतापसिंह हाईस्कूल) में 7 नवंबर 1900 को अंग्रेजी की पहली कक्षा में प्रवेश लिया। इसी दिन से उनके शैक्षिक जीवन का आरम्भ हुआ था, इसलिए 7 नवंबर को महाराष्ट्र में विद्यार्थी दिवस रूप में मनाया जाता हैं।

माध्यमिक शिक्षा
उन्होंने मुंबई में एल्फिंस्टोन रोड पर स्थित शासकीय हाईस्कूल में आगे कि शिक्षा प्राप्त की।

स्नातक शिक्षा

1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय से वे पहले व्यक्ति थे। 1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में बी॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की।

उच्च शिक्षा

1907 में, उन्होंने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले अपने समुदाय से वे पहले व्यक्ति थे।
1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में बी॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की।
सन 1913 में उन्होंने 15 प्राचीन भारतीय व्यापार पर एक शोध प्रबंध लिखा था।
वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे।
उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य (Ancient Indian Commerce) विषय पर शोध कार्य प्रस्तुत किया।
1916 में, उन्हें अपना दूसरा शोध कार्य, भारत का राष्ट्रीय लाभांश – एक ऐतिहासिक और विश्लेषणात्मक अध्ययन (National Dividend of India – A Historical and Analytical Study) के लिए दूसरी कला स्नातकोत्तर प्रदान की गई, और फिर वो लन्दन चले गए।
1916 में अपने तीसरे शोध कार्य ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास (Evolution of Provincial Finance in British India) के लिए अर्थशास्त्र में पीएचडी प्राप्त की, अपने शोध कार्य को प्रकाशित करने के बाद 1927 में अधिकृत रुप से पीएचडी प्रदान की गई।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएट’ (Post Graduate)
अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट (Doctorate) थीसिस पर काम करना शुरू किया।
जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। और ये प्रथम विश्व युद्ध का काल था।

1921 में विज्ञान स्नातकोत्तर (एम॰एससी॰) प्राप्त की, जिसके लिए उन्होंने ‘प्रोवेन्शियल डीसेन्ट्रलाईज़ेशन ऑफ इम्पीरियल फायनेन्स इन ब्रिटिश इण्डिया’ (ब्रिटिश भारत में शाही अर्थ व्यवस्था का प्रांतीय विकेंद्रीकरण) खोज ग्रन्थ प्रस्तुत किया था।
1922 में, उन्हें ग्रेज इन ने बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री प्रदान की और उन्हें ब्रिटिश बार में बैरिस्टर के रूप में प्रवेश मिल गया।
1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की।

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