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Success Story: कैसे बने मुकेश शर्मा एक साधारण चाटवाले से करोड़पति ? सड़क से शिखर तक का सफर जानिए पूरी कहानी

Success Story: अगर बेस्ट स्ट्रीट फ़ूड की बात करें तो भारत के विभिन्न राज्यों में कई प्रकार के फेमस और पारंपरिक स्ट्रीट फ़ूड उपलब्ध है जिसमें राजधानी दिल्ली स्ट्रीट फ़ूड के मामले में सबसे अव्वल है, दिल्ली का स्ट्रीट फ़ूड जितना फेमस है उतनी ही फेमस उसकी कहानियां है। ऐसे ही एक सक्सेस स्टोरी की बात करेंगे – मुकेश शर्मा की जिन्हे लोग ‘करोड़पति चाटवाला’ के नाम से भी जानते है। आइये जानते है यह नाम क्यों और कैसे पड़ा ?

मुकेश शर्मा और उनका पहला चाट ठेला – एक साधारण शुरुआत

‘शर्माजी चाटवाला’ या ‘करोड़पति चाटवाला’ के नाम से मशहूर मुकेश शर्मा दिल्ली के नेहरू प्लेस की भीड़भाड़ और टेक मार्केट के बीच अपना एक छोटा सा चाट स्टॉल चलते है। इन्होने 1989 में सबसे पहले ₹2 में दही-वड़े बेचना शुरू किया था लेकिन आज उनके दही-वड़े की कीमत ₹50 प्लेट है। मुकेश शर्मा के पास कोई कोई बड़ी दुकान नहीं थी, सिर्फ एक टेबल, एक कार और समर्पण था। वह खुद अपने हाथ से मसाले और ताज़ा दही तैयार करके लाते और बेंचते है। इनका चाट स्टॉल दिल्ली के सबसे मशहूर फूड स्टॉल्स में गिना जाता है, इसीलिए इनकी दुकान पर हमेशा ग्राहकों की भीड़ रहती है क्योंकि लोग उनके दही वड़े का स्वाद भूल नहीं पाते है।

मेहनत और हौसले से बनी ‘करोड़पति चाटवाला’ की पहचान

लोगो को ये जानकर हैरानी होगी की शर्मा जी अपना स्टाल का सामान जैसे दही , चटनी, टेबल, इत्यादि अपनी लक्ज़री BMW गाड़ी में लेकर आते है और स्टाल का सारा सेटअप, जगह की साफ सफाई भी अपने हाथों से करते है। मुकेश शर्मा बताते है की वह दही-वड़े और सारा सामाना खुद ही तैयार करते हैं. वह अपने दही-वड़े में जो खास मसाला इस्तेमाल करते हैं वह भी खुद से बनाते है, वह इस काम को लगभग पिछले 35 सालों से कर रहे हैं, शर्माजी सुबह लगभग 3 बजे से पहले उठ जाते है और दही-भल्ले तैयार करके, 9:30 बजे अपनी दुकान खोल देते है.

delhi street food

सड़क से शिखर तक का सफर

मुकेश शर्मा अपनी BMW कार से सामान लेकर आते है और एक साधारण टेबल पर अपना स्टॉल लगाते हैं। उनकी दही-वड़े की सबसे बड़ी खासियत उनके हाथों से बनी चटनी और मसाले है। इनके स्टाल पर दही-वड़े खाने लोग दिल्ली के कोने -कोने से आते हैं। उनका यह सफलता एक प्रेरणा है कि मेहनत, गुणवत्ता और ग्राहक सेवा के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी पहचान बना सकता है, उसके लिए बड़ी दुकान या बड़े सेटअप की आवश्यकता नहीं है।

निष्कर्ष : शर्माजी की कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि किसी भी व्यवसाय में सफलता पाने के लिए समर्पण, गुणवत्ता और ग्राहकों के प्रति ईमानदारी आवश्यक है। मुकेश शर्मा की कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी काम छोटा नहीं होता। एक साधारण चाट विक्रेता से लेकर ‘करोड़पति चाटवाला’ तक का उनका सफर न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह हर उस व्यक्ति के लिए उम्मीद की किरण है जो जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है।

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अस्वीकरण (Disclaimer):
इस ब्लॉग में प्रस्तुत जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों, समाचार लेखों, और ऑनलाइन माध्यमों से एकत्रित की गई है। मुकेश शर्मा और उनकी पहचान ‘करोड़पति चाटवाला’ से जुड़ी जानकारी केवल शैक्षणिक और प्रेरणात्मक उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। हम किसी प्रकार का दावा नहीं करते कि यहां दी गई सभी जानकारियाँ पूर्णतः सटीक या सत्यापित हैं।
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