अयोध्या पर्यटन : राम की पैड़ी सरयू नदी के किनारे स्थित घाटों की एक श्रंखला है| मान्यता है की श्रीराम इसी पैड़ी से होकर सरयू में स्नान करने जाते थे। पूर्णिमा के दिन इस स्थान की सुन्दरता देखते बनती है| श्रधालुओं में ऐसी मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से पाप धुल जाते हैं |

अयोध्या के नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड
साल 2019 में अयोध्या में दीपावली के मौके पर राम की पैड़ी पर 4,50,000 दीपक जलाए गए थे.
साल 2023 में राम की पैड़ी पर 22 लाख से ज़्यादा दीपक जलाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
साल 2024 में अयोध्या ने सरयू के तट पर राम की पैड़ी और 55 अन्य घाटों पर 25,12,585 दीपक जलाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.
इस मौके पर सरयू मां की महाआरती भी की गई थी, जिसमें 1,121 साधु-संतों और महिलाओं ने हिस्सा लिया था. इस आरती का आयोजन भी गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था.

पौराणिक कथा के अनुसार

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है की जब लक्ष्मण ने सभी तीर्थ में स्नान करने का विचार किया तब भगवान श्री राम जी ने सरयू के इसी किनारे पे कहा था की जो व्यक्ति सूर्योदय से पहले यहाँ स्नान करेगा उससे समस्त तीर्थ दर्शन व स्नान करने के सामान पुण्य की प्राप्ति होगी और उसके समस्त पाप काट जायेंगे।

नागेश्वर महादेव मंदिर

अयोध्या के राम पैड़ी पर स्थित नागेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है| मान्यता है कि इसका निर्माण श्री राम के छोटे पुत्र कुश ने करवाया था| कहा जाता है कि एक बार सरयू में स्नान करते समय कुश ने अपना बाजूबंद खो दिया था जो एक नाग कन्या द्वारा वापस किया गया| नाग कन्या कुश पर मोहित हो गयी, चूँकि वह शिवभक्त थी अतः कुश ने इस मंदिर का निर्माण उस नाग कन्या के लिए करवाया था| यह मंदिर राजा विक्रमादित्य के शासन काल तक अच्छी स्थित में था| 1750 में इसका जीर्णोधार नवाब सफ़दरजंग के मंत्री नवल राय द्वारा कराया गया था| शिवरात्रि का पर्व इस मंदिर में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, यहाँ शिव बारात का भी बड़ा महात्म्य है| शिवरात्रि के पर्व में यहाँ लाखों की संख्या में दर्शनार्थी एवं श्रद्धालु उपस्थित होते हैं|

देवकाली मंदिर

इस मंदिर का प्रसंग रामायण महाकाव्य के विविध प्रसंगों में पाया जाता है| ऐसी मान्यता है की माता सीता विवाह के बाद अपने साथ अपनी कुलदेवी माँ गिरिजा देवी की एक सुन्दर मूर्ति लेकर अयोध्या आई थी| तब महाराज दशरथ ने कनक भवन के ईशान कोण में एक भव्य मंदिर का निर्माण कराकर उसमे माँ गिरिजा देवी की स्थापना करायी थी, माता सीता माँ गिरिजा देवी की प्रतिदिन पूजा अर्चना करती थी| आज भी माँ गिरिजा देवी की भव्य प्रतिमा यहाँ स्थित है और इस स्थान को देवकाली के नाम से जाना जाता है। देवकाली, भगवान श्री राम और माता सीता की कुलदेवी हैं.अयोध्या में देवकाली के दो मंदिर हैं – छोटी देवकाली मंदिर और बड़ी देवकाली मंदिर. यह मंदिर अयोध्या में राम जन्मभूमि से करीब 5 किलोमीटर दूर है.

कनक भवन

राम जन्म भूमि के उत्तरपूर्व में स्थित यह मंदिर अपनी कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है| मान्यता है की माता कैकेयी ने प्रभु श्री राम और देवी सीता को यह भवन उपहार स्वरुप दिया था तथा यह उनका व्यक्तिगत महल था| इस मंदिर का स्थापत्य राजस्थान व बुंदेलखंड के सुंदर महलों से मिलता जुलता है | कनक भवन अयोध्या के बेहतरीन और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि यह भवन भगवान श्री राम जी से विवाह के तुरंत बाद महारानी कैकेयी जी द्वारा देवी सीता जी को उपहार में दिया गया था। यह देवी सीता और भगवान राम का निजी महल है। मान्यताओं के अनुसार मूल कनक भवन के टूट-फूट जाने के बाद द्वापर युग में स्वयं श्री कृष्ण जी द्वारा इसे पुनः निर्मित किया गया। माना जाता है कि मध्य काल में इसे विक्रमादित्य ने इसका जीर्णोद्धार करवाया। बाद में इसे ओरछा की रानी वृषभानु कुंवरि द्वारा पुनर्निर्मित किया गया जो आज भी उपस्थित है। गर्भगृह में स्थापित मुख्य मूर्तियां भगवान राम और देवी सीता की हैं।

हनुमान गढ़ी

पवनपुत्र संकटमोचन हनुमान जी को समर्पित यहाँ मंदिर अयोध्या रेलवे स्टेशन से 1 किमी दूरी पर स्थित है, भगवान श्री रामजी जब लंका जीत कर अयोध्या आये तब ये जगह अपने प्रिये भक्त हनुमानजी को रहने के लिए दिया था। बाद में इस मंदिर का निर्माण विक्रमादिय द्वारा करवाया गया था जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है| ऐसी मान्यता है की पवनपुत्र हनुमान यहाँ रहते हुए कोतवाल के रूप में अयोध्या की रक्षा करते हैं| अगर आप अयोध्या आये तो सबसे पहले इसमें विराजमान हनुमानजी के दर्शन करना चाहिए।

बिरला मंदिर

भगवान राम तथा देवी सीता को समर्पित यह मंदिर नव निर्मित है| अयोध्या मार्ग पर स्थित यह मंदिर अयोध्या बस स्टॉप के सामने है|

गुलाब बाड़ी ‘गुलाबों का बाग़’

नवाब शुजा उद दौला का मकबरा गुलाब बाड़ी जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘गुलाबों का बाग़’ फैजाबाद में स्थित है| यहाँ विभिन्न प्रजातियों के गुलाब फौवारे के चारों तरफ लगाये गये हैं| अवध के तीसरे नवाब शुजा-उद-दौला की कब्र भी इसके प्रांगन में स्थित है| यह स्मारक चारबाग़ शैली में बनाया गया है जिसके केंद्र में मकबरा एवं चारो तरफ फौवारे एवं पानी की नहरें है| गुलाब बाड़ी मात्र ऐतिहासिक स्मारक ही नहीं अपितु इसका सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व भी है| मान्यता है की यहाँ से एक सुरंग लखनऊ के पोखर को जाती थी जिसका उपयोग नवाब द्वारा छुपने के लिए किया जाता था|

दिगंबर जैन मंदिर

अयोध्या नगरी का जैन धर्म के लिए भी विशेष स्थान है, यहाँ विभिन्न तीर्थंकरों के जीवन से सम्बंधित 18 कल्याणक घटित हुए हैं| अयोध्या नगरी को पांच तीर्थकरो ( आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंद नाथ, सुमतिनाथ एवं अनंतनाथ ) की जन्मस्थली होने का गौरव प्राप्त है| उनकी स्मृति में फैजाबाद के नवाब के कोषाध्यक्ष ने यहाँ पांच मंदिरों का निर्माण कराया था|
दिगंबर जैन मंदिर प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव को समर्पित है जिन्हें आदिनाथ, पुरदेव, वृषभदेव एवं आदिब्रह्म इत्यादि नामो से भी जाना जाता है| आधुनिक समय में यह बड़ी मूर्ति के नाम से प्रसिद्ध है जहाँ कि अयोध्या के रायगंज नामक स्थान पर ऋषभदेव की 31 फीट ऊँची प्रतिमा स्थापित है |
दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के पहले तीर्थंकर ऋषभ देव जो आदिनाथ के रूप में भी जाने जाते है, की मूर्ति मंदिर के गर्भग्रह में स्थापित है। आचार्य रत्न देशभूषणजी महाराज और आर्यिका ज्ञानमती माताजी द्वारा वर्तमान समय में इस स्थान का पुनः उद्धार किया गया है |

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